2012 का वधेयक सं. 13 राजथान वधयां (संशोधन) वधेयक, 2012 (जैसाक राजथान वधान सभा म परु ःथापत कया जायेगा) राजथान भ-ू राजव अधनयम,1956, जयपरु वकास ाधकरण अधनयम, 1982, जोधपरु वकास ाधकरण अधनयम, 2009, राजथान नगर सध ु ार अधनयम, 1959 और राजथान नगरपा$लका अधनयम, 2009 को और संशोधत करने के $लए वधेयक। भारत गणरा,य के तरसठव. वष0 म. राजथान रा,य वधान-म1डल न3न$ल4खत अधनयम बनाता है ःअ%याय 1 &ारं 'भक 1. सं()*त नाम और &ारं भ.- (1) इस अधनयम का नाम राजथान वधयां (संशोधन) अधनयम, 2012 है । (2) यह तरु =त व?ृ त होगा। अ%याय 2 राजथान भ-ू राजव अध.नयम, 1956 म संशोधन 2. 1956 के राजथान अध.नयम सं. 15 क2 धारा 90-क का संशोधन.-राजथान भ-ू राजव अधनयम, 1956 (1956 का अधनयम सं. 15), िजसे इस अBयाय म. आगे मल ू अधनयम कहा गया है , कD धारा 90-क कD वEयमान उप-धारा (5) के पGचात ् न3न$ल4खत नयी उप-धाराएं जोड़ी जाय.गी, अथा0त ्:''(6) जहां इस धारा के अधीन अनN ु ा Oकसी नगरPय QेR म. िथत भ$ू म के संबध ं म. चाहP गयी हो, वहां अनN ु ा केवल तब हP दान कD जायेगी जब वांछत गैर-कृषक योजन उस QेR म. लागू वध के अनस ु ार अनN ु ेय हो और उस QेR म. व?ृ त माटर योजना या Oकसी अ=य वकास योजना या कDम, उसका जो कोई भी नाम हो, यWद कोई हो, के अनX ु प हो। (7) इस अधनयम या त?समय व?ृ त Oकसी भी अ=य वध म. अ=तव0Zट Oकसी तकूल बात के होने पर भी, जब 2 Oकसी नगरPय QेR म. िथत Oकसी भ$ू म के संबध ं म. इस धारा के अधीन अनN ु ा दान करने वाला कोई आदे श पा[रत Oकया जाता है तो ऐसे आदे श कD तारPख को और से,(क) ऐसी भ$ू म पर, उस ]यि^त के, िजसे इस धारा के अधीन अनN ु ा दान कD गयी है , अ$भधृ त अधकार नवा0पत हो जाय.गे; और (ख) वह भ$ू म धारा 102-क के अधीन थानीय ाधकारP के ]ययनाधीन रखी गयी समझी जायेगी और थानीय ाधकारP पर लागू वध के अधीन बनाये गये नयमa, वनयमa या उपवधयa के अनस ु ार Oकसी भी अनN ु ेय गैर-कृषक योजन के $लए, थानीय ाधकारP को उप- धारा (4) के अधीन उEcहणीय और वसल ू Pय नगरPय नधा0रण या ी$मयम या दोनa के संदाय के अBयधीन रहते हुए, थानीय ाधकारP Eवारा ऐसे ]यि^त को, िजसको इस धारा के अधीन अनN ु ा दान कD गयी है या ऐसे ]यि^त के उ?तराधका[रयa, समनद ु े $शतयa या अ=त[रतयa को आबंटन के $लए उपलdध होगी। (8) इस अधनयम और राजथान अ$भधृ त अधनयम, 1955 (1955 का अधनयम सं. 3) म. अ=तव0Zट Oकसी तकूल बात के होते हुए भी, यWद Oकसी नगरPय QेR म. या Oकसी नगरPय QेR कD नगरयोfय सीमाओं या उपांत पhी म. , कृष योजनa के $लए कोई भ$ू म धारण करने वाले Oकसी ]यि^त ने 17 जून, 1999 के पव ू 0 ऐसी भ$ू म या उसके भाग का गैर-कृषक योजनa के $लए उपयोग Oकया है या उपयोग Oकये जाने के $लए अनN ु ात Oकया है या वह ऐसी भ$ू म या उसके भाग के ता?पय0त गैर-कृषक उपयोग के $लए वiय या वiय के करार के Xप म. और/या मk ु तारनामा और/या वसीयत नZपाWदत करके या Oकसी भी अ=य रPत से तफल के $लए कdजे से 3 अलग हो गया है , वहां उ^त भ$ू म या जोत या, यथािथत, उसके भाग म. के ऐसे ]यि^त के अधकार और Wहत पय0व$स0त Oकये जाने के दायी हaगे और रा,य सरकार Eवारा इस न$म?त ाधकृत अधकारP ऐसे ]यि^त को सन ु वाई का अवसर दान करने के पGचात ् और ऐसा करने के कारणa को लेखबm करने के पGचात ् ऐसी भ$ू म म. ऐसे ]यि^त के अधकारa और Wहत के पय0वसान का आदे श दे गा और तदप ु रा=त उ^त भ$ू म समत भारcतताओं से म^ ु त Xप म. , रा,य सरकार म. नWहत हो जायेगी और धारा 102-क के अधीन थानीय ाधकारP के ]ययनाधीन रखी गयी समझी जायेगी और थानीय ाधकारP पर लागू वध के अधीन बनाये गये नयमa, वनयमa या उपवधयa के अनस ु ार, Oकसी अनN ु ेय गैर-कृषक योजन के $लए ऐसी भ$ू म या, यथािथत, उसके भाग पर कdजा रखने वाले ]यि^तयa को Oकसी आवासन सहकारP सोसाइटP Eवारा Oकये गये आबंटन या Wदये गये पhे के आधार पर या उनको, या तो उस ]यि^त Eवारा, िजसके अधकार और Wहत इस उप-धारा के अधीन पय0व$सत Oकये जाने के आदे श Wदये जा चुके हa, या ऐसे ]यि^त के माBयम से दावा करने वाले Oकसी अ=य ]यि^त Eवारा वiय या वiय के करार या मk ु तारनामे या वसीयत या भ$ू म के अंतरण के $लए ता?पय0त Oकसी अ=य दतावेज के आधार पर, उप-धारा (4) के अधीन उEcहणीय और वसल ू Pय नगरPय नधा0रण या ी$मयम या दोनa के थानीय ाधकारP को संदाय के अBयधीन रहते हुए, आबंटन या नय$मतीकरण के $लए उपलdध होगी: पर=तु (i) इस उप-धारा कD दे वथान वभाग, कोई Oकसी भी लोक बात दे वता, =यास या Oकसी धा$म0क या पत ू 0 संथा या व^फ कD Oकसी भी भ$ू म पर लागू नहPं होगी। (ii) इस धारा के अधीन कोई भी काय0वाWहयां या आदे श ऐसी भ$ू मयa के संबध ं म. आर3भ नहPं कD जाय.गी या नहPं Oकये जाय.गे िजनके $लए 4 नगर भ$ू म (अधकतम सीमा और वनयमन) अधनयम, 1976 (1976 का के=nPय अधनयम सं.33), राजथान कृष जोतa पर अधकतम सीमा अधरोपण अधनयम, 1973 (1973 का अधनयम सं.11) और राजथान भ$ू म सध ु ार तथा भ-ू वा$मयa कD स3पदाओं का अज0न अधनयम, 1963 (1964 का अधनयम सं.11) के उपबंधa के अधीन काय0वाWहयां लंoबत हp। (9) इस धारा के अधीन Oकसी अधकारP या ाधकारP Eवारा Wदये गये आदे श से ]यथत कोई भी ]यि^त, ऐसे आदे श कD तारPख से तीस Wदवस के भीतर-भीतर, रा,य सरकार Eवारा इस न$म?त ाधकृत Oकये गये कल^टर कD रpक से अन3न पंि^त के ऐसे अधकारP को अपील कर सकेगा, जो याव?साBय, ऐसी अपील का, उसके तत ु Oकये जाने कD तारPख से साठ Wदवस कD कालावध के भीतर-भीतर नपटारा करे गा और यWद वह पव ू q^त कालावध के भीतर-भीतर उस अपील का नपटारा करने म. असमथ0 हो तो वह उसके $लए कारण अ$भ$ल4खत करे गा। इस उप-धारा के अधीन पा[रत Oकया गया आदे श अंतम होगा। प3ट5करण.- इस धारा के योजनa के $लए,(क) ''थानीय ाधकारP'' से, Oकसी थानीय QेR के संबध ं म. , उस QेR के नयोिजत वकास के $लए गWठत या पदा$भWहत या उसके काय0 के $लए =यत कोई ाधकारP अ$भेत है और इसम. राजथान नगर सध ु ार अधनयम, 1959 (1959 का अधनयम सं. 35) के अधीन गWठत कोई नगर ाधकरण सध ु ार अधनयम, अधनयम जयपरु =यास, वकास जयपरु 1982 वकास (1982 का सं. 25) के अधीन गWठत ाधकरण, जोधपरु वकास 5 ाधकरण अधनयम, 2009 (2009 का अधनयम सं. 2) के अधीन गWठत जोधपरु वकास ाधकरण या राजथान नगरपा$लका अधनयम, 2009 (2009 का अधनयम 18) के अधीन गWठत कोई सं. नगरपा$लका सि3म$लत है ; (ख) ''नगरPय QेR'' से, जयपरु वकास ाधकरण अधनयम, 1982 (1982 का अधनयम सं. 25) कD धारा 2 के ख1ड (8) म. यथा प[रभाषत जयपरु QेR, जोधपरु वकास ाधकरण अधनयम, 2009 (2009 का अधनयम सं. 2) कD धारा 2 के ख1ड (8) म. यथा प[रभाषत जोधपरु QेR, या राजथान नगरपा$लका अधनयम, 2009 (2009 का अधनयम सं. 18) कD धारा 2 के ख1ड (xxxix) म. यथा प[रभाषत कोई नगरपा$लक QेR या राजथान नगर सध ु ार अधनयम, 1959 (1959 का अधनयम सं. 35) कD धारा 3 के अधीन जारP Oकसी अधसच ू ना म. इस Xप म. वनWद0 Zट कोई QेR या ऐसा QेR, िजसके $लए त?समय व?ृ त Oकसी वध के अधीन कोई थानीय ाधकारP गWठत या पदा$भWहत Oकया गया हो, के अ=तग0त आने वाला कोई QेR अ$भेत है ; (ग) ''नगरयोfय सीमाओं'' से, त?समय व?ृ त Oकसी वध के अधीन तैयार कD गयी Oकसी शहर या नगर कD माटर योजना या माटर वकास योजना म. उपद$श0त नगरPय सीमाएं और जहां कोई माटर योजना या माटर वकास योजना नहPं है , वहां उस नगरपा$लक QेR कD बाहरP सीमाएं अ$भेत हp; 6 (घ) ''उपांत पhी'' से, त?समय व?ृ त Oकसी वध के अधीन तैयार कD गयी Oकसी शहर या नगर कD माटर योजना या माटर वकास योजना म. उपद$श0त उपांत पhी और जहां कोई माटर योजना या माटर वकास योजना नहPं है या जहां ऐसी योजना म. उपांत पhी उपद$श0त नहPं कD गयी है , वहां ऐसा QेR, जो रा,य सरकार Eवारा समय-समय पर अधसू चत Oकया जाये, अ$भेत है ।''। 3. 1956 के राजथान अध.नयम सं. 15 क2 धारा 90-ख का हटाया जाना.-मल अधनयम कD वEयमान धारा 90-ख ू हटायी जायेगी। अ%याय 3 जयपरु वकास &ाधकरण अध.नयम, 1982 म संशोधन 4. 1982 के राजथान अध.नयम सं. 25 क2 धारा 54-ख का संशोधन.-जयपरु वकास ाधकरण अधनयम, 1982 (1982 का अधनयम सं.25) कD धारा 54-ख कD वEयमान उप-धारा (1) के थान पर न3न$ल4खत तथापत Oकया जायेगा, अथा0त ्:''(1) राजथान भ-ू राजव अधनयम, 1956 (1956 का अधनयम सं. 15) कD धारा 90-क के अधीन ाधकरण के ]ययनाधीन रखी गयी समझी गयी कोई भ$ू म, ाधकरण Eवारा, उस धारा म. वनWद0Zट Oकये गये ]यि^त या, यथािथत, ]यि^तयa को, उस धारा के अधीन वWहत नबंधनa और शतs के अBयधीन रहते हुए, और उEcहणीय और वसल ू Pय नगरPय नधा0रण या ी$मयम या दोनa का ाधकरण को संदाय Oकये जाने पर आबंटन या नय$मतीकरण के $लए उपलdध होगी।''। 7 अ%याय 4 जोधपरु वकास &ाधकरण अध.नयम, 2009 म संशोधन 5. 2009 के राजथान अध.नयम सं. 2 क2 धारा 49 का संशोधन.- जोधपरु वकास ाधकरण अधनयम, 2009 (2009 का अधनयम सं.2) कD धारा 49 म. वEयमान उप-धारा (1) के थान पर न3न$ल4खत तथापत Oकया जायेगा, अथा0त ्:''(1) राजथान भ-ू राजव अधनयम, 1956 (1956 का अधनयम सं. 15) कD धारा 90-क के अधीन ाधकरण के ]ययनाधीन रखी गयी समझी गयी कोई भ$ू म, ाधकरण Eवारा, उस धारा म. वनWद0Zट Oकये गये ]यि^त या, यथािथत, ]यि^तयa को, उस धारा के अधीन वWहत नबंधनa और शतs के अBयधीन रहते हुए, और उEcहणीय और वसल ू Pय नगरPय नधा0रण या ी$मयम या दोनa का ाधकरण को संदाय Oकये जाने पर आबंटन या नय$मतीकरण के $लए उपलdध होगी।''। अ%याय 5 राजथान नगर सध ु ार अध.नयम, 1959 म संशोधन 6. 1959 के राजथान अध.नयम सं. 35 क2 धारा 60 का संशोधन.-राजथान नगर सध ु ार अधनयम, 1959 (1959 का अधनयम सं. 35) कD धारा 60 कD वEयमान उप-धारा (4) के थान पर न3न$ल4खत तथापत Oकया जायेगा, अथा0त ्:''(4) राजथान भ-ू राजव अधनयम, 1956 (1956 का अधनयम सं. 15) कD धारा 90-क के अधीन =यास के ]ययनाधीन रखी गयी समझी गयी कोई भ$ू म, उ^त =यास Eवारा, उस धारा म. वनWद0 Zट Oकये गये ]यि^त या, यथािथत, ]यि^तयa को, उस धारा के अधीन वWहत नबंधनa और शतs के अBयधीन रहते हुए, और उEcहणीय और वसल ू Pय नगरPय नधा0रण या ी$मयम या 8 दोनa का =यास को संदाय Oकये जाने पर आबंटन या नय$मतीकरण के $लए उपलdध होगी।''। अ%याय 6 राजथान नगरपा'लका अध.नयम, 2009 म संशोधन 7. 2009 के राजथान अध.नयम सं. 18 क2 धारा 71 का संशोधन.-राजथान नगरपा$लका अधनयम, 2009 (2009 का अधनयम सं. 18), िजसे इस अBयाय म. आगे मल ू अधनयम कहा गया है , कD धारा 71 कD वEयमान उप-धारा (1) के थान पर न3न$ल4खत तथापत Oकया जायेगा, अथा0त ्:''(1) राजथान भ-ू राजव अधनयम, 1956 (1956 का अधनयम सं. 15) कD धारा 90-क के अधीन नगरपा$लका के ]ययनाधीन रखी गयी समझी गयी कोई भ$ू म, उ^त नगरपा$लका Eवारा उस धारा म. वनWद0 Zट Oकये गये ]यि^त या, यथािथत, ]यि^तयa को, उस धारा म. वWहत नबंधनa और शतs के अBयधीन रहते हुए, और उEcहणीय और वसल ू Pय नगरPय नधा0रण या ी$मयम या दोनa का नगरपा$लका को संदाय Oकये जाने पर आबंटन या नय$मतीकरण के $लए उपलdध होगी।''। 8. 2009 के राजथान अध.नयम सं. 18 क2 धारा 337 का संशोधन.-मल ू अधनयम कD धारा 337 कD उप-धारा (2) का वEयमान ख1ड (xviii) हटाया जायेगा। _________ 9 उ?े@यA और कारणA का कथन रा,य सरकार का यह वचार है Oक राजथान भ-ू राजव अधनयम, 1956 कD धारा 90-ख के अधीन कृष भ$ू म के संप[रवत0न म. कतपय कWठनाइयां हp। इस$लए, रा,य सरकार ने धारा 90-ख को हटाने का वनGचय Oकया है । तथाप, यह भी वनGचय Oकया गया है Oक ऐसी कृषक भ$ू मयa के संबध ं म. , िजनका 17 जून, 1999 से पव ू 0 गैर-कृषक योजनa के $लए उपयोग कर $लया गया है , का संप[रवत0न उसी रPत से Oकया जाता रहे गा िजससे Oक वह पव ू 0 म. Oकया जा रहा था। इस$लए, यह महसस Oकया गया Oक धारा 90-क म. ू आवGयक उपबंध सि3म$लत Oकये जाय.। तदनस ु ार, धारा 90-ख का हटाया जाना और नगरPय QेRa म. सरलPकृत, पारदशt और शीu संप[रवत0न का उपबंध करने कD vिZट से धारा 90-क म. कतपय उपबंधa का अ=त:थापत Oकया जाना तावत है । धारा 90-ख को हटाने और धारा 90-क म. संशोधन करने के $लए राजथान भ-ू राजव अधनयम, 1956 म. संशोधन, और अ=य वधयa, अधनयम, 1982, अथा0त ् जोधपरु जयपरु वकास वकास ाधकरण ाधकरण अधनयम, 2009, राजथान नगर सध ु ार अधनयम, 1959 और राजथान नगर पा$लका अधनयम, 2009 म. पा[रणा$मक संशोधन Oकये जाने आवGयक हp, िज=ह. भी तावत Oकया गया है । यह वधेयक पव ू q^त उwGयa कD ािxत के $लए ईिxसत है । अत: वधेयक तत ु है । शांत धारPवाल &भार5 मंBी। 10 &Dयायोिजत वधान संबध ं ी Gापन वधेयक का ख1ड 4, अधनय$मत Oकए जाने पर, भ$ू म के आबंटन या नय$मतीकरण के $लए नबंधन और शतy वWहत करने के $लए रा,य सरकार को सश^त करे गा। वधेयक का ख1ड 5, अधनय$मत Oकए जाने पर, भ$ू म के आबंटन या नय$मतीकरण के $लए नबंधन और शतy वWहत करने के $लए रा,य सरकार को सश^त करे गा। वधेयक का ख1ड 6, अधनय$मत Oकए जाने पर, रा,य सरकार को भ$ू म के आबंटन या नय$मतीकरण के $लए नबंधन और शतy वWहत करने के $लए रा,य सरकार को सश^त करे गा। वधेयक का ख1ड 7, अधनय$मत Oकए जाने पर, रा,य सरकार को भ$ू म के आबंटन या नय$मतीकरण के $लए नबंधन और शतy वWहत करने के $लए रा,य सरकार को सश^त करे गा। तावत ?यायोजन सामा=य वXप के हp और dयौरे के वषयa से संबं धत हp। शांत धारPवाल, &भार5 मंBी। 11 राजथान भ-ू राजव अध.नयम, 1956 (1956 का अध.नयम सं. 15) से 'लये गये उHरण XX XX 90-ख. XX XX क.तपय मामलA म भ'ू म म के अधकारA का पयIवसान और भ'ू म का पन ु JIहण.- (1) इस अधनयम और राजथान अ$भधृ त अधनयम, 1955 (1955 का अधनयम सं. 3) म. अ=तव0Zट Oकसी तकूल बात के होते हुए भी जहां राजथान वधयां (संशोधन) अधनयम, 1999 (1999 का राजथान अधनयम सं. 21) के ारं भ के पव ू 0 Oकसी नगरPय QेR कD ऐसी नगर योfय सीमाओं म. , कृष योजनa के $लए कोई भी भ$ू मधारण करने वाले Oकसी भी ]यि^त ने ऐसी भ$ू म या, यथािथत, उसके भाग का अकृषक योजनa के $लए उपयोग Oकया है या उपयोग Oकये जाने के $लए अनN ु ात Oकया है या वह ऐसी भ$ू म या, यथािथत, उसके भाग के ता?पय0त अकृषक उपयोग के $लए वiय या वiय के करार के Xप म. और/या मk ु तारनामा और/या वसीयत नZपाWदत करके या Oकसी भी अ=य रPत से तफल के $लए कdजे से अलग हो गया है वहां उ^त भ$ू म या जोत या, यथािथत, उसके भाग म. के ऐसे Oकसी ]यि^त के अधकार और Wहत पय0व$सत Oकये जाने के दायी हaगे और ऐसी भ$ू म पन 0ृ Pत Oकये जाने कD दायी होगी। ु गह (2) जहां कोई भी भ$ू म उप-धारा (1) के उपबंधa के अधीन पन 0ृ Pत Oकये जाने कD दायी हो गयी है वहां कल^टर ु गह या इस न$म?त रा,य सरकार Eवारा ाधकृत अधकारP ऐसे ]यि^त को यह कारण द$श0त करने कD अपेQा करते हुए नोWटस कD तामील करे गा Oक उ^त भ$ू म के संQेपत: पन 0ृ Pत ^यa नहPं ु गह कर $लया जाये, और ऐसे नोWटस म. , अ=य बातa के साथ-साथ, भ$ू म कD व$शिZटयां, तावत कार0 वाई का कारण, वह थान, समय और तारPख, जहां और जब मामले कD सन ु वाई कD जावेगी, अ=तव0Zट हो सकेगी। 12 (3) जब ऐसी भ$ू म का काGतकार या धारक या, यथािथत, उसके Eवारा स3यक् Xप से ाधकृत कोई भी ]यि^त ऐसी भ$ू म को आवासन या वा4णि,यक, संथागत, अm0वा4णि,यक, औEयोगक, $सनेमा या पे{ोल प3प के योजनa के $लए या, मि|टxले^स इकाइयa, अवसंरचना प[रयोजनाओं या पय0टन प[रयोजनाओं के योजना के $लए या, अ=य सामद ु ायक सु वधाओं के या लोकोपयोगी योजनa के $लए जो रा,य सरकार Eवार अधसू चत Oकए जाये वक$सत करने के आशय से, ऐसी भ$ू म म. के अपने अधकारa को अ}याप0त करने के $लए अपनी रजाम=दP अ$भ]य^त करते हुए कल^टर या इस न$म?त रा,य सरकार Eवारा ाधकृत अधकारP को आवेदन करता है तो कल^टर या इस न$म?त रा,य सरकार Eवारा ाधकृत अधकारP, ऐसे ]यि^त कD रजाम=दP के बारे म. समाधान होने पर, उ^त भ$ू म म. के ऐसे ]यि^त के अधकारa और Wहत के पय0वसान के $लए ओर ऐसी भ$ू म के पन ु c0हण के $लए आदे श दे गा। (4) मामले कD काय0वाWहयां संQेपत: संचा$लत कD जाय.गी और साधारणतया उप-धारा (2) के अधीन तामील Oकये गये नोWटस म. वनWद0 Zट सन ु वाई कD थम तारPख से साठ Wदन कD कालावध के भीतर-भीतर समाxत कD जाय.गी। (5) जहां पQकारa को सन ु ने के पGचात ् कल^टर या इस न$म?त रा,य सरकार Eवारा ाधकृत अधकारP कD यह राय हो Oक भ$ू म, उप-धारा (1) के अधीन पन 0ृ Pत कD जाने कD ु गह दायी है वहां वह कारणa को अ$भ$ल4खत करने के पGचात ् उ^त भ$ू म म. ऐसे ]यि^त के अधकारa और Wहत के पय0वसान के $लए और उ^त भ$ू म के पन ु c0हण के $लए आदे श दे गा। (6) उप-धारा (3) और (5) के अधीन इस कार पन ु c0हPत भ$ू म समत भार cतताओं से म^ ु त Xप म. रा,य म. 13 नWहत होगी और ऐसा आदे श पा[रत होने कD तारPख से इस अधनयम कD धारा 102-क के अधीन संबं धत थानीय ाधकरण के अधीन रखी गयी समझी जायेगी: पर=तु उ^त उप-धारा (3) के अधीन अ}यप0त भ$ू म ऐसे ]यि^त को उपलdध करायी जायेगी जो भ$ू म को, आवासन, वा4णि,यक, संथागत, अm0-वा4णि,यक, औEयोगक, $सनेमा या पे{ोल प3प के योजनa के $लए या, मि|टxले^स इकाइयa, अवसंरचना प[रयोजनाओं या पय0टन प[रयोजनाओं के योजना के $लए या, अ=य सामद ु ायक सु वधाओं के या लोकोपयोगी योजनa के $लए संबं धत थानीय नकाय पर लागू नयमa, वनयमa और उप-वधयa के अनस ु ार उसका सु नयोिजत वकास करने के $लए, अ}यप0त करता है । (7) उप-धारा (5) के अधीन Oकये गये आदे श से ]यथत ]यि^त उप-धारा (5) के अधीन आदे श पा[रत होने के तीस Wदन के भीतर-भीतर ख1ड आय^ ु त या इस न$म?त रा,य सरकार Eवारा ाधकृत अधकारP को अपील कर सकेगा। (8) ख1ड आय^ ु त या इस न$म?त रा,य सरकार Eवारा ाधकृत अधकारP पQकारa को सन ु ने के पGचात ्, उसके समQ अपील तत करने कD तारPख से साठ Wदन कD ु कालावध के भीतर-भीतर ऐसी अपील म. समु चत आदे श पा[रत करे गा। (9) ख1ड आय^ ु त या इस न$म?त रा,य सरकार Eवारा ाधकृत अधकारP Eवारा इस धारा के अधीन अपील म. पा[रत Oकया गया आदे श अंतम होगा। (10) Oकसी भी $सवल =यायालय को, कल^टर या रा,य सरकार Eवारा ाधकृत अधकारP Eवारा उप-धारा (5) के अधीन Oकये गये आदे श को या ख1ड आय^ ु त या रा,य सरकार Eवारा ाधकृत अधकारP Eवारा उप-धारा (8) के अधीन Oकये 14 गये Oकसी आदे श को Gनगत करने वाले Oकसी भी वाद या काय0वाहP को cहण करने या वनिGचत करने कD अधका[रता नहPं होगी। (11) इस धारा कD कोई भी बात दे वता, दे वथान वभाग, Oकसी भी लोक =यास या Oकसी भी धा$म0क या पत ू 0 संथा या Oकसी व^फ कD Oकसी भी भ$ू म पर लागू नहPं होगीः पर=तु जहां लोक =यास अधनयम, 1959 के अधीन रिज{Pकृत कोई भी लोक =यास या कोई भी रिज{Pकृत पत ू 0 संथा अपनी भ$ू म या जोत या उसके भाग और उससे ाxत ?यागमa/आगमa का उपयोग अपने ल~यa और उwेGयa कD पू त0 के योजन के $लए करने का आशय रखती है , वह ऐसी भ$ू म या जोत या उसके भाग म. के अपने अधकारa को अ}यप0त करने के $लए उप-धारा (3) के अधीन कोई आवेदन कर सकेगी और उस दशा म. इस धारा के उपबंध इस उपांतरण के साथ लागू हaगे Oक ऐसे योजन उप-धारा (3) के और उप-धारा (6) के पर=तक ु के $लए उपबंधत Oकए हुए समझे जाय.गे। प3ट5करण.- इस पर=तक ु के योजनa के $लए, '' भ$ू म या जोत'' के अ=तग0त सरकार Eवारा म ु त या नाममाR कD रकम पर या पhे पर आवंWटत भ$ू म नहPं है , जब तक रा,य सरकार अ=यथा अनN ु ात नहPं करे । (12) इस धारा के अधीन, ऐसी भ$ू मयa के संबध ं म. कोई काय0वाWहयां ारं भ नहPं कD जाय.गी या आदे श नहPं Oकये जाय.गे िजनके $लए नगर भ$ू म (अधकतम सीमा और वनयमन) अधनयम, 1976 (1976 का के=nPय अधनयम सं. 33) राजथान कृष जोतa पर अधकतम सीमा अधरोपण अधनयम, 1973 (1973 का अधनयम सं. 11) और राजथान भ$ू म सध ु ार तथा भ-ू वा$मयa कD स3पदाओं का अज0न अधनयम, 1963 (1964 का अधनयम स. 11) के उपबंधa के अधीन काय0वाWहयां लंoबत हp। 15 पZटPकरण.- I. कृष के अनस ु ेवी योजनa, जैसे काGतकार के नवासीय गहृ (उसकD जोत के 1/50 व. भाग या 500 वग0गज, इनम. से जो भी कम हो, कD सीमा के अBयधीन रहते हुए), पशु जनन, दfु ध उEयोग, चारा भ1डारण, कु^कुट पालन, उEयानकृष, वन वकास, जलाशय, कुआ, चरागाह, बाग भ$ू म के $लए और उससे आनष ु ं गक या संस^त अ=य योजनa के $लए भ$ू म के आं$शक उपयोग का अथ0 अकृषक योजनa के Xप म. नहPं लगाया जायेगा। II. उप-धारा (1) के योजन के $लए नगरPय QेR से ऐसा QेR अ$भेत होगा िजसके नगरपा$लका $लए राजथान अधनयम, 1959 (1959 का अधनयम सं. 38) के अधीन कोई नगरपा$लका गWठत कD गयी है या राजथान नगर सध ु ार अधनयम, 1959 (1959 का अधनयम सं. 35) के अधीन कोई नगर सध ु ार =यास गWठत Oकया गया है या ाधकरण जयपरु वकास अधनयम, 1982 (1982 का अधनयम सं. 25) के अधीन जयपरु वकास ाधकरण गWठत Oकया गया है । III. इस धारा के योजनa के $लए ''नगरयोfय सीमाओं'' से त?समय व?ृ त Oकसी वध के अधीन तैयार 16 कD गयी Oकसी नगर या Oकसी शहर कD माटर योजना या माटर वकास योजना म. यथा उपद$श0त नगरयोfय सीमाएं, और जहां कोई भी माटर योजना या माटर वकास योजना नहPं हो, वहां उस QेR कD नगरपा$लक सीमाएं, अ$भेत हp। IV. (i) इस धारा के योजनa के $लए ''उपांत-पhी'' से त?समय वत ृ Oकसी वध के अधीन तैयार कD गयी Oकसी नगर या Oकसी शहर कD माटर योजना या माटर वकास योजना म. यथा उपद$श0त उपांत-पhी, और जहां कोई माटर योजना या माटर वकास योजना नहPं हो या जहां ऐसी योजना म. उपांत-पhी उपद$श0त नहPं कD गयी हो, वहां वह QेR अ$भेत है जो रा,य सरकार Eवारा समय-समय पर अधसू चत Oकया जाये। (ii) जहां Oकसी गांव का कोई भाग उपांत-पhी के अ=तग0त आता है , वहॉ स3पण ू 0 गांव उपांत-पhी के के XX XX अ=त0गत समझा जायेगा। XX XX 17 जयपरु वकास &ाधकरण अध.नयम, 1982 (1982 का अध.नयम सं. 25) से 'लये गये उHरण XX XX XX XX 54-ख. क.तपय भ'ू मयA का आबंटन, .नय'मतीकरण आLद.- (1) ऐसी समत भ$ू मयां, जो राजथान भ-ू राजव अधनयम, 1956 (1956 का अधनयम सं. 15) कD धारा 90ख के अधीन ाधकरण के अधीन रखी हुई समझी गयी हp, उनके खातेदारa के खातेदारP अधकारa और Wहत के पुनc0हण या, यथािथत, अ}यप0ण पर, अधमानत: ऐसे ]यि^तयa को, जो आवासन सहकारP सोसाइटP Eवारा उ=ह. Oकये गये आबंटन या Wदये गये पhे के आधार पर या काGतकार या ऐसे काGतकार के माBयम से दावा करने वाले Oकसी भी अ=य ]यि^त के Eवारा, िजसके खातेदारP अधकार उ^त उपबंध के अधीन पुनगह 0ृ Pत या अ}यप0त Oकये गये हp, उ=ह. भ$ू म के अ=तरण के Oकसी भी अ=य दतावेज के आधार पर ऐसी भ$ू म या, यथािथत, उसके भाग पर कdजा रखते हp, ऐसे नब=धनa और शतs पर और ाधकरण को ऐसे भारa या ी$मयम या, यथािथत, दोनa के संदाय के अBयधीन और ऐसी दरa पर, जो रा,य सरकार इस न$म?त वWहत करे , आबंटन या नय$मतीकरण के $लए उपलdध होगी: पर=तु नय$मतीकरण Oकसी भी नहPं Oकया ऐसी भ$ू म जायेगा का आबंटन िजसको या साव0जनक उपयोगताओं/सेवाओं, जैसे पाक0, पौधशाला, $सवल या सै=य वमानन, बस अडे, प[रवहन ट$म0नल, रे लवे, साव0जनक सड़कa, राजमागs, पैदल राते, मलवाह नालP, जलदाय, वEयत ु ् दाय, टे लPफोन लाइनa, चOक?सालय, वEयालय, शैQक संथा, वGववEयालय, Gमशानघाट, कoतान के $लए और अ=य ऐसे योजनa के $लए, जो रा,य सरकार राजपR म. अधसच ू ना Eवारा वनWद0Zट करे , स3यक् Xप से निGचत Oकया गया है । (2) XX XX XX XX XX XX XX XX 18 जोधपरु वकास &ाधकरण अध.नयम, 2009 (2009 का अध.नयम सNयांक 2) से 'लये गये उHरण XX XX 49. XX XX क.तपय भ'ू मयA का आबंटन, .नय'मतीकरण आLद.- (1) ऐसी समत भ$ू मयां, जो राजथान भ-ू राजव अधनयम, 1956 (1956 का अधनयम सं. 15) कD धारा 90ख के अधीन ाधकरण के अधीन रखी हुई समझी गयी हp, उनके खातेदारa के खातेदारP अधकारa और Wहत के पन ु c0हण या, यथािथत, अ}यप0ण पर, अधमानत: ऐसे ]यि^तयa को, जो आवासन सहकारP सोसाइटP Eवारा उ=ह. Oकये गये आबंटन या Wदये गये पhे के आधार पर या काGतकार या ऐसे काGतकार के माBयम से दावा करने वाले Oकसी भी अ=य ]यि^त के Eवारा, िजसके खातेदारP अधकार उ^त उपबंध के अधीन पुनगह 0ृ Pत या अ}यप0त Oकये गये हp, उ=ह. भ$ू म के अ=तरण के Oकसी भी अ=य दतावेज के आधार पर ऐसी भ$ू म या, यथािथत, उसके भाग पर कdजा रखते हp, ऐसे नब=धनa और शतs पर और ाधकरण को ऐसे भारa या ी$मयम या, यथािथत, दोनa के संदाय के अBयधीन और ऐसी दरa पर, जो रा,य सरकार इस न$म?त वWहत करे , आबंटन या नय$मतीकरण के $लए उपलdध होगी : पर=तु नय$मतीकरण Oकसी भी नहPं Oकया ऐसी भ$ू म जायेगा का आबंटन िजसको या साव0जनक उपयोगताओं/सेवाओं, जैसे पाक0, पौधशाला, $सवल या सै=य वमानन, बस अडे, प[रवहन ट$म0नल, रे लवे, साव0जनक सड़कa, राजमागs, पैदल राते, मलवाह नालP, जलदाय, वEयत ु ् दाय, टे लPफोन लाइनa, चOक?सालय, वEयालय, शैQक संथा, वGववEयालय, Gमशानघाट, कoतान के $लए और अ=य ऐसे योजनa के $लए, जो रा,य सरकार राजपR म. अधसच ू ना Eवारा वनWद0Zट करे , स3यक् Xप से निGचत Oकया गया है । (2) XX XX XX XX XX XX XX XX 19 राजथान नगर सध ु ार अध.नयम, 1959 (1959 का अध.नयम सं. 35) से 'लए गये उHरण XX XX XX XX 60.Pयास Qवारा भ'ू म का Rययन.-(1) से (3) XX XX (4) ऐसी समत भ$ू मयां, जो राजथान भ-ू राजव अधनयम, 1956 (1956 का अधनयम सं. 15) कD धारा 90-ख के अधीन =यास के अधीन रखी हुई समझी गयी हp, उनके खातेदारa के खातेदारP अधकारa और Wहत के पन ु c0हण या, यथािथत, अ}यप0ण पर, अधमानत: ऐसे ]यि^तयa को, जो आवासन सहकारP सोसाइटP Eवारा उ=ह. Oकये गये आबंटन या Wदये गये पhे के आधार पर या काGतकार या ऐसे काGतकार के माBयम से दावा करने वाले Oकसी भी अ=य ]यि^त के Eवारा, िजसके खातेदारP अधकार उ^त उपबंध के अधीन पुनगह 0ृ Pत या अ}यप0त Oकये गये हp, उ=ह. भ$ू म के अ=तरण के Oकसी भी अ=य दतावेज के आधार पर ऐसी भ$ू म या, यथािथत, उसके भाग पर कdजा रखते हp, ऐसे नब=धनa और शतs पर और ाधकरण को ऐसे भारa या ी$मयम या, यथािथत, दोनa के संदाय के अBयधीन और ऐसी दरa पर, जो रा,य सरकार इस न$म?त वWहत करे , आबंटन या नय$मतीकरण के $लए उपलdध होगी: पर=तु नय$मतीकरण Oकसी भी नहPं Oकया ऐसी भ$ू म जायेगा का आबंटन िजसको या साव0जनक उपयोगताओं या सेवाओं, जैसे उEयानa, पौधशाला, $सवल या सै=य वमानन, बस अडे, प[रवहन ट$म0नल, रे लवे, साव0जनक सड़कa, राजमागs, फुटपाथ, मल वाह, जलदाय, वEयत ु ् दाय, टे लPफोन लाईनa, अपताल, वEयालय, शैQक संथा, वGववEयालय, Gमशान घाट, कoतान के $लए और अ=य ऐसे योजनa के $लए, जो रा,य सरकार राजपR म. अधसच ू ना Eवारा वनWद0Zट करे , स3यक् Xप से चि=हत Oकया गया है । (5) XX XX XX XX XX XX XX XX 20 राजथान नगरपा'लका अध.नयम, 2009 (2009 का अध.नयम सं. 18) से 'लये गये उHरण XX XX XX XX 71. क.तपय भ'ू मयA का आबंटन, .नयमन आLद.-(1) ऐसी समत भ$ू मयां, जो राजथान भ-ू राजव अधनयम, 1956 (1956 का अधनयम सं. 15) कD धारा 90-ख के अधीन खातेदारa के अ$भधारण अधकारa और Wहत के पन ु c0हण या, यथािथत, अ}यप0ण पर नगरपा$लका के ]ययनाधीन रखी गयी समझी गयी हp, अधमानत: ऐसे ]यि^तयa को, जो उ^त धारा 90-ख कD उप-धारा (1) म. नWद0Zट दतावेजa के आधार पर या, यथािथत उ^त धारा 90-ख कD उप-धारा (3) के अधीन उस ]यि^त को िजसने भ$ू म अ}यप0त कD है , कdजा रखते हp, ऐसे नबंधनa और शतs पर और आबंटन के $लए उनकD पाRता कD परPQा करने के पGचात ् और नगरपा$लका को ऐसे भारa या ी$मयम या, यथािथत, दोनa के संदाय के अBयधीन और ऐसी दरa पर, जो रा,य सरकार Eवारा इस न$म?त वWहत कD जाय., आबंटन या नय$मतीकरण के $लए उपलdध हaगी: पर=तु नय$मतीकरण Oकसी भी ऐसी नहPं Oकया भ$ू म जायेगा का आबंटन िजसको या साव0जनक उपयोगताओं या सेवाओं, जैसे उEयानa, पौधशाला, $सवल या सै=य वमानन, बस अडे, प[रवहन ट$म0नल, रे लवे, साव0जनक सड़कa, राजमागs, फुटपाथ, मल वाह, जलदाय, वEयत ु ् दाय, टे लPफोन लाईनa, अपताल, वEयालय, शैQक संथा, वGववEयालय, Gमशान घाट, कoतान के $लए और अ=य ऐसे योजनa के $लए, जो रा,य सरकार राजपR म. अधसच ू ना Eवारा वनWद0Zट करे , स3यक् Xप से चि=हत Oकया गया है । (2) XX XX XX XX XX XX XX XX 21 337. राSय सरकार क2 .नयम बनाने तथा आदे श पाTरत करने क2 शिUत.-(1) XX XX XX XX (2) व$शZटतया, और पव 0 ामी शि^त कD ]यापकता पर ू ग तकूल भाव डाले oबना, रा,य सरकार न3न$ल4खत वषयa पर नयम बनायेगी(i) से (xvii) XX XX XX XX (xviii) वे नबंधन और शतy िजन पर और वे भार या ी$मयम, िजनके संदाय के अBयधीन राजथान भ-ू राजव अधनयम, 1956 कD धारा 90-ख के अधीन नगरपा$लका के नयंRण के अधीन रखी हुई समझी गयी भ$ू म नगरपा$लका Eवारा आबंWटत या नय$मत कD जा सकेगी, वWहत करने के $लए; (xix) से (xli) ¼3½ ls ¼6½ XX XX XX XX XX XX XX XX XX XX XX 22 (Authorized English Translation) Bill No. 13 of 2012 THE RAJASTHAN LAWS (AMENDMENT) BILL, 2012 (To be Introduced in the Rajasthan Legislative Assembly) A Bill further to amend the Rajasthan Land Revenue Act, 1956, the Jaipur Development Authority Act, 1982, the Jodhpur Development Authority Act, 2009, the Rajasthan Urban Improvement Act, 1959 and the Rajasthan Municipalities Act, 2009. Be it enacted by the Rajasthan State Legislature in the Sixty-third Year of the Republic of India, as follows:CHAPTER-I Preliminary 1. Short title and commencement.- (1) This Act may be called the Rajasthan Laws (Amendment) Act, 2012. (2) It shall come into force at once. CHAPTER-II Amendments in the Rajasthan Land Revenue Act, 1956 2. Amendment of section 90-A, Rajasthan Act No. 15 of 1956.- After the existing sub-section (5) of section 90-A of the Rajasthan Land Revenue Act, 1956 (Act No. 15 of 1956), hereinafter in this Chapter referred to as the principal Act, the following new sub-sections shall be added, namely:“(6) Where permission under this section is sought with respect to a land situated in an urban area, the permission shall be granted only if the desired nonagricultural purpose is permissible in accordance with the law applicable in that area and is in consonance with the master plan or any other development plan or scheme, by whatever name called, in force, if any, in that area. (7) Notwithstanding anything to the contrary contained in this Act or any other law for the time being in force, when an order granting permission under this section is passed with respect to a land situated in an urban area, on and from the date of such order,(a) tenancy rights over such land of the person to whom permission under this 23 section is granted shall stand extinguished; and (b) the land shall be deemed to have been placed at the disposal of the local authority under section 102-A and shall be available for allotment to the person to whom permission is granted under this section, or to the successors, assignees or transferees of such person, by the local authority for any permissible nonagricultural purposes in accordance with the rules, regulations or bye-laws made under the law applicable to the local authority, subject to the payment to the local authority of urban assessment or premium or both leviable and recoverable under sub-section (4). (8) Notwithstanding anything to the contrary contained in this Act and the Rajasthan Tenancy Act, 1955 (Act No. 3 of 1955) where before 17th June, 1999 any person, holding any land for agricultural purposes in an urban area or within the urbanisable limits or peripheral belt of an urban area, has used or has allowed to be used such land or part thereof for non-agricultural purposes or, has parted with possession of such land or part thereof for consideration by way of sale or agreement to sell and/ or by executing power of attorney and/or Will or in any other manner for purported nonagricultural use, the rights and interest of such person in the said land or holding or part thereof, as the case may be, shall be liable to be terminated and the officer authorized by the State Government in this behalf, shall, after affording an opportunity of being heard to such person and recording reasons in writing for doing so, order for termination of his rights and interest in such land and thereupon the land shall vest in the State Government free from all encumbrances and be deemed to have been placed at the disposal of the local authority under section 102-A and shall be available for allotment or regularization by the local authority for any permissible non-agricultural purposes in accordance with the rules, regulations or bye-laws made under the law applicable to the local authority to the persons having possession over such land or part thereof, as the case may be, on the basis of allotment made, or Patta 24 given, by a Housing Co-operative Society or on the basis of any document of sale or agreement to sell or power of attorney or a Will or any other document purporting transfer of land to them either by the person whose rights and interests have been ordered to be terminated under this sub-section or by any other person claiming through such person, subject to the payment to the local authority of urban assessment or premium or both leviable and recoverable under sub-section (4): Provided that(i) nothing in this sub-section shall apply to any land belonging to deity, Devasthan Department, any public trust or any religious or charitable institution or a wakf; (ii) no proceedings or orders under this subsection shall be initiated or made in respect of lands for which proceedings under the provisions of the Urban Land (Ceiling and Regulation) Act, 1976 (Central Act No. 33 of 1976), the Rajasthan Imposition of Ceiling on Agricultural Holdings Act, 1973 (Act No. 11 of 1973) and the Rajasthan Land Reforms and Acquisition of Land Owners Estate Act, 1963 (Act No. 11 of 1964) are pending. (9) Any person aggrieved by an order of an officer or authority made under this section may appeal within thirty days from the date of such order to such officer not below the rank of Collector as may be authorized by the State Government in this behalf, who shall, as far as practicable, disposed of such appeal within a period of sixty days from the date of its presentation and if he is unable to dispose of the appeal within the aforesaid period, he shall record reasons therefor. An order passed under this sub-section shall be final. Explanation.- For the purposes of this section,(a) “local authority”, in relation to a local area, means an authority constituted or designated for, or entrusted with the function of, planned development of that area and includes an Urban Improvement Trust constituted under the Rajasthan Urban 25 Improvement Act, 1959 (Act No. 35 of 1959), the Jaipur Development Authority constituted under the Jaipur Development Authority Act, 1982 (Act No. 25 of 1982), the Jodhpur Development Authority constituted under the Jodhpur Development Authority Act, 2009 (Act No. 2 of 2009) or a Municipality constituted under the Rajasthan Municipalities Act, 2009 (Act No. 18 of 2009); (b) “urban area” means an area falling within Jaipur region as defined in clause (8) of section 2 of the Jaipur Development Authority Act, 1982 (Act No. 25 of 1982), Jodhpur region as defined in clause (8) of section 2 of the Jodhpur Development Authority Act, 2009 (Act No. 2 of 2009) or a municipal area as defined in clause (xxxix) of section 2 of the Rajasthan Municipalities Act, 2009 (Act No. 18 of 2009) or an area specified as such in a notification issued under section 3 of the Rajasthan Urban Improvement Act, 1959 (Act No. 35 of 1959) or an area for which a local authority is constituted or designated under any law for the time being in force; (c) “urbanisable limits” means the urbanisable limits indicated in the master plan or master development plan of a city or town prepared under any law for the time being in force and where there is no master plan or master development plan, the outer limits of the municipal area; (d) “peripheral belt” means the peripheral belt indicated in the master plan or master development plan of a city or town prepared under any law for the time being in force and where there is no master plan or master development plan or where peripheral belt is not indicated in such plan, the area as may be notified by the State Government from time to time.”. 26 3. Deletion of section 90-B, Rajasthan Act No. 15 of 1956.- The existing section 90-B of the principal Act shall be deleted. CHAPTER-III Amendment in the Jaipur Development Authority Act, 1982 4. Amendment of section 54-B, Rajasthan Act No. 25 of 1982.- For the existing sub-section (1) of section 54-B of the Jaipur Development Authority Act, 1982 (Act No. 25 of 1982), the following shall be substituted, namely:“(1) Any land deemed to have been placed at the disposal of the Authority under section 90-A of the Rajasthan Land Revenue Act, 1956 (Act No. 15 of 1956) shall be available for allotment or regularization by the Authority to the person or persons, as the case may be, specified in that section subject to the terms and conditions prescribed, and on payment to the Authority of the urban assessment or premium or both leviable and recoverable, under that section.”. CHAPTER-IV Amendment in the Jodhpur Development Authority Act, 2009 5. Amendment of section 49, Rajasthan Act No. 2 of 2009.- For the existing sub-section (1) of section 49 of the Jodhpur Development Authority Act, 2009 (Act No. 2 of 2009), the following shall be substituted, namely:“(1) Any land deemed to have been placed at the disposal of the Authority under section 90-A of the Rajasthan Land Revenue Act, 1956 (Act No. 15 of 1956) shall be available for allotment or regularization by the Authority to the person or persons, as the case may be, specified in that section subject to the terms and conditions prescribed, and on payment to the Authority of the urban assessment or premium or both leviable and recoverable, under that section.”. CHAPTER-V Amendment in the Rajasthan Urban Improvement Act, 1959 6. Amendment of section 60, Rajasthan Act No. 35 of 1959.-For the existing sub-section (4) of section 60 of the Rajasthan Urban Improvement Act, 1959 (Act No. 35 of 1959), the following shall be substituted, namely:“(4) Any land deemed to have been placed at the disposal of the Trust under section 90-A of the Rajasthan 27 Land Revenue Act, 1956 (Act No. 15 of 1956) shall be available for allotment or regularization by the Trust to the person or persons, as the case may be, specified in that section subject to the terms and conditions prescribed, and on payment to the Trust of the urban assessment or premium or both leviable and recoverable, under that section.”. CHAPTER-VI Amendments in the Rajasthan Municipalities Act, 2009 7. Amendment of section 71, Rajasthan Act No. 18 of 2009.- For the existing sub-section (1) of section 71 of the Rajasthan Municipalities Act, 2009 (Act No. 18 of 2009), hereinafter in this Chapter referred to as the principal Act, the following shall be substituted, namely:“(1) Any land deemed to have been placed at the disposal of the Municipality under section 90-A of the Rajasthan Land Revenue Act, 1956 (Act No. 15 of 1956) shall be available for allotment or regularization by the Municipality to the person or persons, as the case may be, specified in that section subject to the terms and conditions prescribed, and on payment to the Municipality of the urban assessment or premium or both leviable and recoverable, under that section.”. 8. Amendment of section 337, Rajasthan Act No. 18 of 2009.- The existing clause (xviii) of sub-section (2) of section 337 of the principal Act shall be deleted. _________ 28 STATEMENT OF OBJECTS AND REASONS The State Government is of the view that there are certain difficulties in conversion of agricultural land under section 90-B of the Rajasthan Land Revenue Act, 1956, hence the State Government has decided to delete section 90-B. However, it has also been decided that with regard to agricultural lands which have been used for non-agricultural purposes prior to 17th June, 1999 conversion would continue to be done in the manner it was being done earlier. So it is felt that necessary provisions be incorporated in section 90-A. Accordingly, section 90-B is proposed to be deleted and certain provisions are proposed to be inserted in section 90-A with a view to provide for simplified, transparent and speedy conversion in urban areas. Deletion of section 90-B and amendment in section 90-A requires amendment in the Rajasthan Land Revenue Act, 1956 and consequential amendment in other laws, namely, the Jaipur Development Authority Act, 1982, the Jodhpur Development Authority Act, 2009, the Rajasthan Urban Improvement Act, 1959 and the Rajasthan Municipalities Act, 2009, which are also proposed. This Bill seeks to achieve aforesaid objectives. Hence the Bill. शांत धारPवाल] Minister Incharge. 29 MEMORANDUM REGARDING DELEGATED LEGISLATION Clause 4 of the Bill, if enacted, shall empower the State Government to prescribe the terms and conditions for allotment or regularization of land. Clause 5 of the Bill, if enacted, shall empower the State Government to prescribe the terms and conditions for allotment or regularization of land. Clause 6 of the Bill, if enacted, shall empower the State Government to prescribe the terms and conditions for allotment or regularization of land. Clause 7 of the Bill, if enacted, shall empower the State Government to prescribe the terms and conditions for allotment or regularization of land. The proposed delegation is of normal character and relates to the matters of detail. शांत धारPवाल] Minister Incharge. 30 EXTRACTS TAKEN FROM THE RAJASTHAN LAND REVENUE ACT, 1956 (Act No. 15 of 1956) XX XX XX XX 90-B. Termination of rights and resumption of land in certain cases.- (1) Notwithstanding anything to the contrary contained in this Act and the Rajasthan Tenancy Act, 1955 (Act No. 3 of 1955) where before the commencement of the Rajasthan Laws (Amendment) Act, 1999 (Rajasthan Act No. 21 of 1999) any person, holding any land for agricultural purposes in urbanisable limits or peripheral belt of an urban area, has used or has allowed to be used such land or part thereof, as the case may be, for non-agricultural purposes or, has parted with possession of such land or part thereof, as the case may be, for consideration by way of sale or agreement to sell and/or by executing power of attorney and/or Will or in any other manner, for purported non-agricultural use, the rights and interest of such a person in the said land or holding or part thereof, as the case may be, shall be liable to be terminated and such land shall be liable to be resumed. (2) Where any land has become liable to be resumed under the provisions of sub-section (1), the Collector or the officer authorised by the State Government in this behalf, shall serve a notice, calling upon such person to show cause why the said land may not be resumed summarily, and among other things, such notice may contain the particulars of the land, cause of proposed action, the place, time and date, where and when the matter shall be heard. (3) When the tenant or the holder of such land or any person duly authorised by him, as the case may be, makes an application to the Collector or the officer authorised by the State Government in this behalf, expressing his willingness to surrender his rights in such land, with the intention of developing such land for housing, commercial, institutional, semicommercial, industrial, cinema or petrol pump purposes or, for the purpose of multiplex units, infrastructure projects or tourism projects or, for such other community facilities or public utility purposes, as may be notified by the State Government, the Collector or officer authorised by the State Government in this behalf, shall upon being satisfied about the willingness of such person, order for termination of rights and interest of such person in the said land and order for resumption of such land. (4) The proceedings in the matter shall be conducted summarily and shall ordinarily be concluded within a period of 31 sixty days from the first date of hearing specified in the notice served under sub-section (2). (5) Where, after hearing the parties, the Collector or the officer authorised by the State Government in this behalf, is of the opinion that the land is liable to be resumed under subsection (1), he shall after recording reasons in writing, order for termination of rights and interest of such person in the said land and order for resumption of the said land. (6) The land so resumed under sub-sections (3) and (5) shall vest in the State free from all encumbrances and shall be deemed to have been placed at the disposal of the concerned local authority under section 102-A of this Act with effect from the date of passing of such order: Provided that the land surrendered under sub-section (3) above, shall be made available to the person, who surrenders the land, for its planned development in accordance with the rules, regulation and bye-laws applicable to the local body concerned, for housing, commercial, institutional, semi-commercial, industrial, cinema or petrol pump purposes or, for the purpose of multiplex units, infrastructure projects or tourism projects or, for other community facilities or public utility purposes. (7) The person, aggrieved by the order made under subsection (5), may appeal to the Divisional Commissioner or the officer authorised by the State Government in this behalf, within thirty days of passing of order under sub-section (5). (8) The Divisional Commissioner or the officer authorised by the State Government in this behalf shall, after hearing the parties, pass appropriate orders in such appeal within a period of sixty days from the date of presentation of appeal before him. (9) The order passed by the Divisional Commissioner or the officer authorised by the State Government in this behalf in appeal under this section shall be final. (10) No civil court shall have jurisdiction to entertain or decide any suit or proceeding questioning the order made under sub-section (5) by the Collector or the officer authorised by the State Government or an order made under sub-section (8) by the Divisional Commissioner or the officer authorised by the State Government. (11) Nothing in this section shall apply to any land belonging to Deity, Devasthan Department, any public trust or any religious or charitable institution or a wakf: Provided that where any public trust registered under the Rajasthan Public Trusts Act, 1959 or any registered charitable institution intends to use its land or holding or part thereof and 32 returns/proceeds received therefrom for the purposes of fulfilment of its aims and objectives, it may make an application under sub-section (3) to surrender its rights in such land or holding or part thereof and in that case provisions of this section shall apply with the modification that such purposes shall be deemed to have been provided for in sub-section (3) and proviso to sub-section (6). Explanation.- For the purposes of this proviso, “land or holding” does not include the land allotted by the State Government free of cost or on token amount or on lease unless the State Government permits otherwise. (12) No proceedings or orders under this section shall be initiated or made in respect of lands for which proceedings under the provisions of Urban Land (Ceiling and Regulation) Act, 1976 (Central Act No. 33 of 1976), the Rajasthan Imposition of Ceiling on Agricultural Holdings Act, 1973 (Act No. 11 of 1973) and the Rajasthan Land Reforms and Acquisition of Land Owners Estate Act, 1963 (Act No. 11 of 1964) are pending. Expalnation.- I. Part use of the land for purposes subservient to the agriculture such as residential house of the tenant (subject to the limit of 1/50th part of his holding or 500 sq. yards whichever is less) cattle breeding, dairy farming, fodder storage, poultry farming, horticulture, forestry development, water tank, well, pasturage, grove land and such other purposes ancillary thererto or connected therewith shall not be constructed to mean nonagricultural purposes. II. For the purpose of sub-section (1), urban area shall mean an area for which a municipality is constituted under the Rajasthan Municipality Act, 1959 (Act No. 38 of 1959) or Urban Improvement Trust is constituted under Rajasthan Urban Improvement Act, 1959 (Act No. 35 of 1959) or the Jaipur Development Authority is 33 XX constituted under the Jaipur Development Authority Act, 1982 (Act No. 25 of 1982). III. For the purposes of this section, “urbanisable limits” means, the urbanisable limits as indicated in the master plan or the master development plan of a city or a town prepared under any law for the the time being in force, and where there is no master plan or master development plan, the municipal limits of the area. IV. (i) For the purposes of this section, “peripheral belt” means, the peripheral belt as indicated in the master plan or master development plan of a city or a town prepared under any law for the time being in force, and where there is no master plan or master development plan, or where peripheral belt is not indicated in such plan, the area as may be notified by the State Government from time to time. (ii) Where any part of a village falls within the peripheral belt, the whole village shall be deemed to be within the peripheral belt. XX XX XX EXTRACTS TAKEN FROM THE JAIPUR DEVELOPMENT AUTHORITY ACT, 1982 (Act No. 25 of 1982) XX XX XX XX 54-B. Allotment, regularisation etc. of certain lands.(1) All lands which are deemed to have been placed at the disposal of the Authority under section 90-B of the Rajasthan Land Revenue Act, 1956 (Act No. 15 of 1956) upon resumption or surrender of tenancy rights and interest of khatedars thereof, as the case may be, shall be available for a allotment, or regularisation, preferably to the persons having possession over 34 such land or part thereof, as the case may be, on the basis of allotment made or Patta given to them by the Housing Cooperative Society or on the basis of any other document of transfer of land to them either by tenant or any other person claiming through the tenant, whose tenancy rights have been resumed or surrendered, under the said provision on such terms and conditions and subject to payment to the Authority of such charges or premium or both, as the case may be, and at such rates as may be prescribed by the State Government in this behalf: Provided that no allotment or regularisation of any land shall be made which has been duly earmarked for public utilities/services such as park, nursery, civil or military aviation, bus stand, transport terminal, railways, public roads, highways, footpath, sewage lines, water supply, electricity supply, telephone lines, hospital, school, educational institution, university, cremation ground, grave yard and such other purposes as the State Government may specify by notification in the Official Gazette. (2) xx xx xx xx XX XX XX XX EXTRACTS TAKEN FROM THE JODHPUR DEVELOPMENT AUTHORITY ACT, 2009 (Act No. 2 of 2009) XX XX XX XX 49. Allotment, regularisation etc. of certain lands.- (1) All lands which are deemed to have been placed at the disposal of the Authority under section 90-B of the Rajasthan Land Revenue Act, 1956 (Act No. 15 of 1956) upon resumption or surrender of tenancy rights and interest of khatedars thereof, as the case may be, shall be available for allotment, or regularisation, preferably to the persons having possession over such land or part thereof, as the case may be, on the basis of allotment made or Patta given to them by the Housing Cooperative Society or on the basis of any other document of transfer of land to them either by tenant or any other person claiming through the tenant, whose tenancy rights have been resumed or surrendered, under the said provision on such terms and conditions and subject to payment to the Authority of such charges of premium or both, as the case may be, and at such rates of as may be prescribed by the State Government in this behalf: 35 Provided that no allotment or regularisation of any land shall be made which has been duly earmarked for public utilities/services such as park, nursery, civil or military aviation, bus stand, transport terminal, railways, public roads, highways, footpath, sewage lines, water supply, electricity supply, telephone lines, hospital, school, educational institution, university, cremation ground, grave yard and such other purposes as the State Government may specify by notification in the Official Gazette. (2) xx xx xx xx XX XX XX XX EXTRACTS TAKEN FROM THE RAJASTHAN URBAN IMPROVEMENT ACT, 1959 (Act No. 35 of 1959) XX XX XX XX 60. Disposal of land by the Trust.- (1) to (3) xx xx (4) All lands which are deemed to have been placed at the disposal of the Trust under section 90-B of the Rajasthan Land Revenue Act, 1956 (Act No. 15 of 1956) upon resumption or surrender of tenancy rights and interest of khatedars thereof, as the case may be, shall be available for a allotment or regularization preferably to the persons having possession over such land or part thereof, as the case may be, on the basis of allotment made or Patta given to them by the Housing Cooperative Society or on the basis of any other document of transfer of land to them either by tenant or any other person claiming through the tenant, whose tenancy rights have been resumed or surrendered, under the said provision on such terms and conditions and subject to payment to the Trust of such charges or premium or both, as the case may be, and at such rates as may be prescribed by the State Government in this behalf: Provided that no allotment or regularization of any land shall be made which has been duly earmarked for public utilities/services such as park, nursery, civil or military aviation, bus stand, transport terminal, railways, public roads, highways, footpath, sewage lines, water supply, electricity supply, telephone lines, hospital, school, educational institution, university, cremation ground, grave-yard and for such other purposes as State Government may specify by notification in the Official Gazette. (5) xx xx xx xx XX XX XX XX 36 XX EXTRACTS TAKEN FROM THE RAJASTHAN MUNICIPALITIES ACT, 2009 (Act No. 18 of 2009 ) XX XX XX 71. Allotment, regularization etc. of certain lands.- (1) All lands which are deemed to have been placed at the disposal of a Municipality under section 90-B of the Rajasthan Land Revenue Act, 1956 (Act No.15 of 1956) upon resumption or surrender of tenancy rights and interest of Khatedars thereof, as the case may be, shall be available for allotment or regularization preferably to the persons having possession on the basis of documents referred to in sub-section (1) of the said section 90-B or as the case may be to the person who surrendered the land under sub-section (3) of the said section 90-B, on such terms and conditions and after examining their eligibility or allotment and subject to payment to the Municipality of such charges or premium or both as the case may be, and at such rates as may be prescribed by the State Government in this behalf: Provided that no allotment or regularization of any land shall be made which has been duly earmarked for public utilities or services such as park, nursery, civil or military aviation, busstand, transport terminal, railways, public roads, highways, footpath, sewage lines, water supply, electricity supply, telephone lines, hospital, school, educational institution, university, cremation ground, grave-yard and for such other purposes as the State Government may specify by notification in the Official Gazette. (2) xx xx xx xx XX XX XX XX 337. Power of State Government to make rules and orders.- (1) xx xx xx xx (2) In particular, and without prejudice to the generality of the foregoing power, the State Government shall make rules(i) to (xvii) xx xx xx xx (xviii) for prescribing the terms and conditions on which, and the charges or premium subject to the payment of which, the land deemed to have been placed at the disposal of the Municipality under section 90-B of the Rajasthan Land 37 Revenue Act, 1956 may be allotted or regularized by the Municipality; (xix) to (xli) xx xx xx xx (3) to (6) xx xx xx XX XX XX XX 38 2012 का वधेयक सं. 13 राजथान वधयां (संशोधन) वधेयक, 2012 (जैसाक राजथान वधान सभा म परु ःथापत कया जायेगा) 39 राजथान वधान सभा राजथान भ-ू राजव ाधकरण अधनयम, अधनयम, 1982, 1956, जोधपरु जयपरु वकास वकास ाधकरण अधनयम, 2009 राजथान नगर सध ु ार अधनयम, 1959 और राजथान नगरपा$लका अधनयम, 2009 को और संशोधत करने के $लए वधेयक। (जैसाक राजथान वधान सभा म परु ःथापत कया जायेगा) कृ3ण मरु ार5 ग*ु ता, उप सचव। (शांत कुमार धारPवाल, &भार5 मंBी) 40 Bill No. 13 of 2012 THE RAJASTHAN LAWS (AMENDMENT) BILL, 2012 (To be introduced in the Rajasthan Legislative Assembly) 41 RAJASTHAN LEGISLATIVE ASSEMBLY ________ A Bill Further to amend the Rajasthan Land Revenue Act, 1956, the Jaipur Development Authority Act, 1982, the Jodhpur Development Authority Act, 2009, the Rajasthan Urban Improvement Act, 1959 and the Rajasthan Municipalities Act, 2009. _______ (To be introduced in the Rajasthan Legislative Assembly) ________ KRISHAN MURARI GUPTA, Deputy Secretary. (Shanti Kumar Dhariwal, Minister-Incharge)
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